यह स्वाभाविक बात है कि माता-पिता अपने बच्चों को किसी भी नुकसान से सुरक्षित रखना चाहते हैं, जिसमें वे असंख्य प्रकार की बैक्टीरिया भी शामिल हैं जिनके संपर्क में वह रोजाना आते हैं। बड़े होते बच्चे लगातार विभिन्न बैक्टीरिया के संपर्क में आते हैं, खासतौर से डे केयर सेंटर और प्रीस्कूल जैसी जगहों पर। कम इम्यूनिटी वाले बच्चे, विभिन्न प्रकार के इंफेक्शन के प्रति अत्यधिक असुरक्षित होते हैं। इंफेक्शन की घटनाएं बढ़ने की वजह से एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग में बढ़ोत्तरी हुई है और अनुचित उपयोग होने लगा है जिससे एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध में और बढ़ोत्तरी हुई है।
एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध एक व्यापक समस्या है, जो तब होती है जब सूक्ष्मजीवों को मारने के लिए प्रयुक्त दवाओं के अत्यधिक उपयोग के कारण उनमें प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है। यह विश्व में एक सबसे चुनौतीभरी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन गई है। मजबूत इम्यूनिटी विकसित करना, इसे हल करने का सर्वोत्तम उपाय है, जो आपके बच्चे को प्राकृतिक रूप से इंफेक्शन से बचाती है। हमने यहां कुछ सुझाव प्रस्तुत किए हैं जो आपके बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ाने में हेल्प कर सकते हैं।
प्रोटीन, मिनरल, विटामिनों, सूक्ष्म पोषक तत्वों (micronutrients) और असैचुरेटेड फैट (unsaturated fats) जैसी सभी ज़रूरी चीज़ों की संतुलित मात्रा वाला आहार हेल्दी होता है, जो बच्चों में विभिन्न इंफेक्शन या रोगों से लड़ने के लिए ज़रूरी इम्यूनिटी बनाने में हेल्प करता है। खट्टे फल, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां, बीन्स, स्ट्रॉबेरी, दही, लहसुन और अदरक, अपने इम्यूनिटी बढ़ाने वाले गुणों के कारण इम्यूनिटी विकसित करने में सहायक हैं।
भरपूर नींद
नींद की कमी से इम्यून सिस्टम ठीक से काम नहीं कर पाता, जिससे बच्चों में इंफेक्शन की आशंका बढ़ जाती है। शरीर को नई ताज़गी देने के लिए भरपूर नींद एकदम अनिवार्य है। नवजात शिशुओं को रोजाना 18 घंटे तक नींद की ज़रूरत होती है, चलने की शुरूआत करने वाले बच्चों को 12 से 13 घंटे, और प्रीस्कूल वाले बच्चों को लगभग 10 घंटे तक नींद की आवश्यकता होती है।
हर बार खाना खाने से पहले और बाद में, खेलने के बाद, पालतू पशुओं को छूने के बाद, नाक साफ करने के बाद, रेस्टरूम इस्तेमाल करने के बाद, और डेकेयर से घर आने पर हाथों की स्वच्छता अपनाने से बच्चों में इंफेक्शन की रोकथाम में मदद मिलती है।
नेचुरल रूप से पाए जाने वाले सप्लिमेंट्स, इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाते हैं। गुडूची, यष्टिमधु, और गुग्गुल जैसी जड़ी-बूटियां एंटीऑक्सीडेंट्स के प्राकृतिक स्रोत हैं। यष्टिमधु के एंटीवायरल गुण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और पुरानी खांसी की रोकथाम में भी मदद करते हैं। गुग्गुल के एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण इन्फ्लेमेशन घटाने में भी सहायक हैं।
जड़ी-बूटियों का संयोजन, बार-बार होने वाले इंफेक्शन को मैनेज करने में एंटीमाइक्रोबियल्स का सुरक्षित और प्रभावी हो सकता है। एंटीबायोटिक्स के साथ लिखे जाने पर जड़ी-बूटियों वाली औषधियां, फिर से इंफेक्शन की रोकथाम करने के अलावा जल्दी रिकवरी करने, इलाज की अवधि और खर्च कम करने में भी प्रभावी भूमिका निभाती हैं।
एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध एक व्यापक समस्या है, जो तब होती है जब सूक्ष्मजीवों को मारने के लिए प्रयुक्त दवाओं के अत्यधिक उपयोग के कारण उनमें प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है। यह विश्व में एक सबसे चुनौतीभरी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन गई है। मजबूत इम्यूनिटी विकसित करना, इसे हल करने का सर्वोत्तम उपाय है, जो आपके बच्चे को प्राकृतिक रूप से इंफेक्शन से बचाती है। हमने यहां कुछ सुझाव प्रस्तुत किए हैं जो आपके बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ाने में हेल्प कर सकते हैं।
हेल्दी डाइट
प्रोटीन, मिनरल, विटामिनों, सूक्ष्म पोषक तत्वों (micronutrients) और असैचुरेटेड फैट (unsaturated fats) जैसी सभी ज़रूरी चीज़ों की संतुलित मात्रा वाला आहार हेल्दी होता है, जो बच्चों में विभिन्न इंफेक्शन या रोगों से लड़ने के लिए ज़रूरी इम्यूनिटी बनाने में हेल्प करता है। खट्टे फल, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां, बीन्स, स्ट्रॉबेरी, दही, लहसुन और अदरक, अपने इम्यूनिटी बढ़ाने वाले गुणों के कारण इम्यूनिटी विकसित करने में सहायक हैं।
भरपूर नींद
नींद की कमी से इम्यून सिस्टम ठीक से काम नहीं कर पाता, जिससे बच्चों में इंफेक्शन की आशंका बढ़ जाती है। शरीर को नई ताज़गी देने के लिए भरपूर नींद एकदम अनिवार्य है। नवजात शिशुओं को रोजाना 18 घंटे तक नींद की ज़रूरत होती है, चलने की शुरूआत करने वाले बच्चों को 12 से 13 घंटे, और प्रीस्कूल वाले बच्चों को लगभग 10 घंटे तक नींद की आवश्यकता होती है।
हाइजीन
हर बार खाना खाने से पहले और बाद में, खेलने के बाद, पालतू पशुओं को छूने के बाद, नाक साफ करने के बाद, रेस्टरूम इस्तेमाल करने के बाद, और डेकेयर से घर आने पर हाथों की स्वच्छता अपनाने से बच्चों में इंफेक्शन की रोकथाम में मदद मिलती है।
हर्बल समाधान
उचित देखभाल करने के बावजूद बच्चों की इम्यूनिटी प्रभावित हो सकती है। हर्बल आहार पूरक जैसे कि गुडूची (टिनोस्पोराकार्डिफोलिया), आमलकी (एम्बिलिका ऑफिसिनालिस), यष्टिमधु (ग्लाइसाइरिजा ग्लाब्रा), और गुग्गुल (बालसामोडेंड्रोनमुकुल) बच्चों को अधिक हेल्दी रखने में मदद कर सकते हैं, क्योंकि वे इम्यूनिटी बढ़ाने में हेल्प करते हैं।नेचुरल रूप से पाए जाने वाले सप्लिमेंट्स, इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाते हैं। गुडूची, यष्टिमधु, और गुग्गुल जैसी जड़ी-बूटियां एंटीऑक्सीडेंट्स के प्राकृतिक स्रोत हैं। यष्टिमधु के एंटीवायरल गुण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और पुरानी खांसी की रोकथाम में भी मदद करते हैं। गुग्गुल के एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण इन्फ्लेमेशन घटाने में भी सहायक हैं।
जड़ी-बूटियों का संयोजन, बार-बार होने वाले इंफेक्शन को मैनेज करने में एंटीमाइक्रोबियल्स का सुरक्षित और प्रभावी हो सकता है। एंटीबायोटिक्स के साथ लिखे जाने पर जड़ी-बूटियों वाली औषधियां, फिर से इंफेक्शन की रोकथाम करने के अलावा जल्दी रिकवरी करने, इलाज की अवधि और खर्च कम करने में भी प्रभावी भूमिका निभाती हैं।